Road Girl Ki Chudai चूत का जुगाड़ किया
हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम आदर्श है और आज में आप सभी लोगों के सामने अपनी एक और नई कहानी लेकर आया हूँ. में आप लोगों को अपनी अगली चुदाई की घटना बताना चाहता हूँ. दोस्तों मैंने अपनी नानी के घर पर रहकर अपनी मामी और दिव्या की बहुत बार जमकर चुदाई की और इसके बाद मुझे चुदाई का ऐसा चस्का लगा कि में जिस किसी भी जवान लड़की या भाभी को देखता तो मेरा मन उसको चोदने का करता.
फिर कुछ दिनों के बाद मामा की छुट्टियाँ खत्म हो गयी और वो मामी को लेकर वापस अपने घर पर चले गये और उसके बाद मैंने दिव्या को तीन दिन तक लगातार चोदा, लेकिन अब उसकी हालत खराब होने लगी थी और वो चुदाई करने में इतनी माहिर भी नहीं थी और फिर भी उसकी 21 साल की उम्र होने के बाद भी उसकी चूत बहुत ही टाईट थी, लेकिन उसको चोदने में मुझे मामी की चूत जैसा मज़ा नहीं आता था.
तो कुछ दिनों में मेरी भी क्लास शुरू होने वाली थी तो में भी अपने घर पर वापस आ गया और जब मैंने अपनी पड़ोस वाली दीदी को देखा तो मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि दीदी की चूत भी चुदाई की प्यासी है. उनका नाम उर्मिला था और उन्होंने कुछ समय पहले ही अपनी पढ़ाई को पूरी कर लिया था और अब उनके मम्मी, पापा कई दिनों से उनके लिए लड़का खोज रहे थे लेकिन उन्हे कोई भी अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था. उनका शरीर बहुत ही पतला था, लेकिन फिर भी उनके बूब्स बहुत ही बड़े बड़े (36) साईज़ के थे.
उनका रंग बिल्कुल गोरा था और उनकी लम्बाई भी 5.6 इंच थी. उनके जिस्म को देखकर किसी का भी लंड सलामी देने लगेगा, वो दिखने में बहुत सुंदर, पतली कमर, बड़े बड़े बूब्स और अच्छी खासी गांड उनके जिस्म को और भी सुंदर बनाते थे. तो में हर दिन दोपहर के वक़्त उनसे अक्सर बातें किया करता था, लेकिन अब की बार में उन्हे दीदी नहीं बल्कि एक हवस की निगाह से देखने लगा था और जब भी में अपने घर के बाहर निकलता वो मुझसे बातें ज़रूर करती थी, लेकिन मेरा दिमाक बस उनके बूब्स पर ही टिका रहता था, मेरा मन करता था कि बस अभी उनको दबोच लूँ.
उनके परिवार में उनके पापा मम्मी और दो छोटे भाई थे. वो सभी लोग अपने अपने काम में व्यस्त रहते थे और ज्यादातर समय वो घर पर अकेली ही होती थी. तो में उन पर लाईन मारना चाहता था, लेकिन मुझे डर भी बहुत लगता था कि कहीं वो नहीं मानी तो मेरी बदनामी होगी और ऐसे ही मुझे मौका ढूंढते ढूंढते एक महीना बीत गया.
फिर में एक दिन अपने एक फ्रेंड के यहाँ पर गया तो उसने मुझे एक नई बात बताई कि मेरे पड़ोस में जो लड़की रहती है वो पहले उनके मोह्हले में ही रहती थी और उसका उस समय से मोहल्ले के कई लड़को के साथ चक्कर चल रहा था और एक बार वो दो लड़को के साथ रंगे हाथों पकड़ी भी गयी थी और तभी उसके पापा ने वो मोहल्ला छोड़ दिया. दोस्तों में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और अब मैंने सोच लिया कि मेरे लिए अब तो जल्द ही एक चूत का जुगाड़ हो जाएगा और में रात भर उसकी चुदाई के सपने देखता रहा और सो गया. फिर में अगले दिन उनके घर पर गया. उस टाईम उनकी मम्मी और वो घर पर थे.
दोस्तों उनकी मम्मी को में चाची जी कहकर बुलाता था और उस समय चाची जी आँगन में कुछ काम कर रही थी और दीदी किचन में थी. तो में जल्दी से किचन में चला गया और दीदी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया, लेकिन दीदी को पता ही नहीं चला और जैसे ही वो पीछे घूमी तो उनके बूब्स एकदम से मुझसे टकरा गए और उन्होंने दीवार का सहारा लेकर अपने आपको गिरने से बचाया और मैंने मौका देखकर उनको कमर से पकड़कर सहारा दिया और सीधा खड़ा किया.
फिर वो मुझसे हंसते हुए बोली कि ऐसे क्यों चुपचाप आकर खड़े हो जाते हो? मैंने बोला कि दीदी में आपको सर्प्राइज़ देना चाहता था, मेरा लंड तो उनको छूते ही एकदम तनकर खड़ा हो गया था और जब मैंने उनको अपनी बाहों में लेकर खड़ा किया तो मैंने लंड को जानबूझ कर उनके शरीर से रगड़ दिया, लेकिन मुझे उनकी तरफ से कोई भी किसी भी तरह के विरोध के आसार नहीं दिखे और में समझ गया कि जो बात मेरे दोस्त ने मुझे बताई थी वो बिल्कुल ठीक ही थी.
फिर हमने बहुत देर तक हंसी मज़ाक वाली बातें की और में उनके बूब्स को बहुत घूर घूरकर निहार रहा था, क्योंकि वो उस समय काम कर रही थी इसलिए उन्होंने दुपट्टा भी नहीं लिया था. तो कुछ देर के बाद दीदी ने भी इस बात पर गौर किया कि मेरी निगाह उनके बूब्स पर है और उन्होंने जानबूझ कर अपना दुपट्टा नहीं लिया था और फिर में अक्सर जब भी उनसे बातें करता था तो किसी ना किसी बहाने उनके बदन को छूने की कोशिश किया करता था.
फिर एक सप्ताह के बाद मुझे बड़ा ही सुनहरा मौका मिला. जब वो उनके घर के स्टोर रूम में सफाई कर रही थी तो में भी वहां पर पहुंच गया. चाची जी उस समय बाथरूम में थी और उन्होंने मुझे मदद करने को कहा और फिर में तुरंत ही मान गया. हम दोनों ही सफाई करने लगे और हम दोनों उस बीच कई बार आपस में टकराए और हम दोनों पूरी तरह पसीने में भीग गए थे.
कुछ देर के बाद दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपना काम करते रहो. में अभी आई और दो मिनट में ही वो वापस आ गई, लेकिन मैंने तुरंत ही मैंने गौर कर लिया कि उन्होंने अपनी ब्रा को उतार दिया है हो सकता है कि वो शायद गर्मी से परेशान हो रही थी इसलिए उन्होंने ऐसा किया, लेकिन में तो यह सब देखकर बिल्कुल ही पागल हो गया और मैंने उनको देखकर एक स्माइल दे दी और उनका जवाब भी एक स्माइल से ही आया. तो में समझ गया कि मेरा रास्ता साफ है, लेकिन मेरे मन में एक अजीब सा डर भी था और फिर मैंने दीदी से पूछा कि..
में : क्यों आप कहाँ गई थी?
दीदी : मुझे बहुत गर्मी लग रही थी.
में : तो फिर?
दीदी : तो फिर क्या?
में : क्या अब गर्मी दूर हो गई?
दीदी : हाँ थोड़ा बहुत लगता तो है.
में : लेकिन, वो कैसे?
दीदी : पहले तुम जल्दी से अपना काम खत्म करो.
में : दीदी पहले में आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ और एक कहना चाहता हूँ.
दीदी : हाँ पूछो और कहो, वो ऐसी क्या बात है?
में : आपकी छाती बहुत ही सुंदर है.
दीदी : तुम यह क्या बकवास कर रहे हो?
में : आपने अपनी ब्रा को उतार दिया है ना? तो जब से यह और भी सुंदर लग रहे है.
दीदी : तुम पागल हो गये हो क्या चुपचाप यहाँ से चले जाओ?
में : दीदी मुझे एक बार इनको देखना है.
दीदी : (बहुत ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली) क्या सुना नहीं तुमने, चले जाओ यहाँ से?
तो मैंने उनकी एक बात नहीं सुनी और उनको पकड़कर दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और बोला कि मुझे आपकी सारी पिछली कहानियाँ पता है, में आपके इतने दिनों से चक्कर लगा रहा हूँ, क्या में आपको छोटा बच्चा लगता हूँ? और ऐसा कहते हुए मैंने उनकी कमीज़ को ऊपर कर दिया और दोनों बूब्स को पकड़कर ज़ोर ज़ोर से दबाने, मसलने लगा, मेरे ऐसा करने से दीदी मदहोश होने लगी और सिसकियाँ लेने लगी.
दीदी : आदर्श ऊईईईईई अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह प्लीज ऐसा मत करो, प्लीज छोड़ दो मुझे.
में : नहीं दीदी, में इतने दिनों से इनको दूर से ही निहार रहा था. आज तो में इनका रस चूसकर ही रहूँगा.
फिर मैंने एक बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और किसी दूध पीते बच्चे की तरह बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूसने, दबाने लगा और कुछ देर चूसने के बाद अचानक से चाची की आवाज़ आई, शायद वो बाथरूम से बाहर आ गई थी. तो हम एकदम से अलग हो गये और फिर से सफाई करने लगे, चाची ने हमे देखा और अपने बेडरूम में चली गयी.
में : दीदी आपके बूब्स का रस तो बहुत ग़ज़ब का है.
दीदी : लेकिन अभी नहीं क्योंकि अब मम्मी बाथरूम से बाहर आ गई है, में तुम्हे बाद में जैसे ही मौका मिलेगा बुला लूँगी.
तो ऐसे ही दो तीन दिन निकल गये, लेकिन इस बीच मैंने सही मौका देखकर उनके बूब्स को कई बार दबाया और उन्हे किस भी किए और फिर एक दिन उनके घर कुछ मेहमान आए हुए थे और उस दिन में अपने घर पर बिल्कुल अकेला था. तभी दीदी मेरे घर पर आई और मुझसे बोली..
दीदी : आदर्श क्या में तुम्हारे बाथरूम को अपने काम में ले सकती हूँ क्योंकि मेरे घर पर कुछ मेहमान आए हुए है और मेरे घर का बाथरूम इस समय फ्री नहीं है?
में : हाँ क्यों नहीं, आप उसे जैसे चाहे काम में ले सकती हो.
दोस्तों वो अपने साथ एक पैकेट लेकर आई थी वो उसे भी अपने साथ ही लेकर बाथरूम में चली गई और कुछ देर के बाद में भी उनके पीछे पीछे बाथरूम में चला गया.
दीदी : यह क्या बदतमीजी है आदर्श?
में : दीदी आज में आपकी चूत मारना चाहता हूँ आपके बूब्स को एक बार फिर से चूसना चाहता हूँ और में आज अपना उस दिन का अधूरा काम पूरा करना चाहता हूँ.
दीदी : लेकिन आज तो तुम्हारा यह काम नहीं हो सकता क्योंकि मेरे पीरियड्स चल रहे है और में अपना पेड ही बदलने यहाँ पर आई थी.
लेकिन दोस्तों मैंने उनकी एक भी बात ना सुनी और उनकी सलवार का नाड़ा खींच दिया. सलवार नीचे जमीन पर गिर गई और मैंने उनकी कमीज़ को भी उतार दिया और फिर पेंटी को भी उतार दिया. तो मैंने देखा कि उनकी पेंटी में बहुत सारा खून लगा हुआ था. मैंने देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और दीदी से चूसने को कहा वो मेरा मोटा लंड देखकर एकदम से चौंक गयी और बोली कि मैंने इतना मोटा लंड तो कभी लिया ही नहीं?
में : दीदी कोई बात नहीं, आज लेकर देख लो, वैसे भी यह लंड अब आपकी चूत फाड़कर ही रहेगा.
फिर मैंने तुरंत ही लंड को उनके मुहं में डाल दिया और वो लंड को एक रंडी की तरह चूसने लगी, लेकिन मैंने आज उनके बूब्स को ब्रा से बाहर नहीं निकाला था क्योंकि अगर वो बाहर आ जाते तो में सबसे पहले अपना सारा टाईम उनको ही चूसता रहता, लेकिन में आज उनकी चूत मारने वाला था. दस मिनट तक उन्होंने मेरा लंड चूसा और फिर मैंने उन्हे खड़ा किया और किस करने लगा.
किस करते हुए ही में अपने लंड को उनकी चूत में डालने लगा और फिर मैंने दो ज़ोर के झटके दिए और अब पूरा लंड चूत में डाल दिया. दीदी के मुहं से आअहह उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज थोड़ा जल्दी अह्ह्ह्हह्ह निकल गया और फिर चीखते हुए वो बोली कि आदर्श प्लीज थोड़ा जल्दी जल्दी अह्ह्ह्ह चोदो मुझे देखने लड़के आईईईईइ वाले आने वाले है.
में : तो तुम एक काम करो, उन्हें यहाँ पर ही बुला लो, में उन्हे दिखता हूँ कि लड़की चुदाई में कितनी माहिर है.
दीदी : हंसते हुए बोली कि एक तो बहुत मुश्किल से यह बकरा मिला है, क्या तुम उसे भी भागना चाहते हो?
में : दीदी मुझे आप बहुत ही अच्छी लगती हो और दीदी में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.
दीदी : मुझे दीदी मत बोलो आदर्श, अब आज से में तुम्हारी रखैल हूँ, तुम मुझे अपनी एक रंडी समझकर चोदो में आज से तुम्हारी ही हूँ, तुम मुझे जितना चाहो चोद सकते हो में तुम्हे कभी भी मना नहीं करूंगी.
फिर में उनकी बातों से और भी जोश में आकर ताबड़तोड़ धक्के देता रहा और वो भी अपनी सिसकियों की आवाज से मुझे जोश दिलाती रही, वो मुझसे और ज़ोर से धक्के देने को कहती रही और में जोरदार धक्कों से उनकी चूत को शांत करने की कोशिश करने लगा और हम ऐसे ही बीस मिनट तक लगातार चुदाई करते रहे और में उनकी चूत में ही झड़ गया. मैंने अपना सारा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया और कुछ देर बाद मैंने उनको छोड़ दिया तो दीदी ने जल्दी से अपना पेड चेंज किया और कपड़े पहनकर अपने घर पर जाने लगी. तभी मैंने उन्हे एक बार फिर से पकड़ लिया और बोला कि दीदी एक चीज़ तो में भूल ही गया.
दीदी : वो क्या?
तो मैंने उनको अपनी बाहों में खींच लिया और उनके बूब्स को दबाने लगा और मैंने उनकी कमीज़ को ऊपर करके उनकी ब्रा को खोल दिया और बारी बारी से एक एक बूब्स को मुहं में लेकर चूसने लगा तो कुछ देर बाद वो बोली..
दीदी : अब बस करो मेरे राजा, मुझे अब अपने घर भी जाना है.
में : लेकिन दीदी पहले आप मुझसे वादा करो और शाम को फिर से जरुर आना.
दीदी : हाँ ठीक है में तुमसे वादा करती हूँ कि शाम को मुझे जैसे ही मौका मिलेगा जरुर आउंगी.
तो दोस्तों उसी शाम दीदी अपना किया हुआ वादा पूरा करने मेरे पास चली आई, लेकिन उस समय हमें ज्यादा समय नहीं मिला तो हमने ज्यादा कुछ नहीं किया, लेकिन उसके बाद से हमने ऐसे ही चुदाई का खेल जारी रखा. मैंने कभी उनको उनके घर पर तो कभी मेरे घर पर, जैसे ही मौका मिलता हम चुदाई के मज़े लेते रहे और फिर तीन महीने के बाद उनकी शादी उसी लड़के से हो गयी और मैंने शादी के दो दिन पहले तक भी उनकी बहुत अच्छी तरह से चुदाई की और अब भी जब कभी वो ससुराल से अपने घर पर आती है तो मेरे लिये चूत का जुगाड़ हो जाता है.
फिर कुछ दिनों के बाद मामा की छुट्टियाँ खत्म हो गयी और वो मामी को लेकर वापस अपने घर पर चले गये और उसके बाद मैंने दिव्या को तीन दिन तक लगातार चोदा, लेकिन अब उसकी हालत खराब होने लगी थी और वो चुदाई करने में इतनी माहिर भी नहीं थी और फिर भी उसकी 21 साल की उम्र होने के बाद भी उसकी चूत बहुत ही टाईट थी, लेकिन उसको चोदने में मुझे मामी की चूत जैसा मज़ा नहीं आता था.
तो कुछ दिनों में मेरी भी क्लास शुरू होने वाली थी तो में भी अपने घर पर वापस आ गया और जब मैंने अपनी पड़ोस वाली दीदी को देखा तो मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगा कि दीदी की चूत भी चुदाई की प्यासी है. उनका नाम उर्मिला था और उन्होंने कुछ समय पहले ही अपनी पढ़ाई को पूरी कर लिया था और अब उनके मम्मी, पापा कई दिनों से उनके लिए लड़का खोज रहे थे लेकिन उन्हे कोई भी अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था. उनका शरीर बहुत ही पतला था, लेकिन फिर भी उनके बूब्स बहुत ही बड़े बड़े (36) साईज़ के थे.
उनका रंग बिल्कुल गोरा था और उनकी लम्बाई भी 5.6 इंच थी. उनके जिस्म को देखकर किसी का भी लंड सलामी देने लगेगा, वो दिखने में बहुत सुंदर, पतली कमर, बड़े बड़े बूब्स और अच्छी खासी गांड उनके जिस्म को और भी सुंदर बनाते थे. तो में हर दिन दोपहर के वक़्त उनसे अक्सर बातें किया करता था, लेकिन अब की बार में उन्हे दीदी नहीं बल्कि एक हवस की निगाह से देखने लगा था और जब भी में अपने घर के बाहर निकलता वो मुझसे बातें ज़रूर करती थी, लेकिन मेरा दिमाक बस उनके बूब्स पर ही टिका रहता था, मेरा मन करता था कि बस अभी उनको दबोच लूँ.
उनके परिवार में उनके पापा मम्मी और दो छोटे भाई थे. वो सभी लोग अपने अपने काम में व्यस्त रहते थे और ज्यादातर समय वो घर पर अकेली ही होती थी. तो में उन पर लाईन मारना चाहता था, लेकिन मुझे डर भी बहुत लगता था कि कहीं वो नहीं मानी तो मेरी बदनामी होगी और ऐसे ही मुझे मौका ढूंढते ढूंढते एक महीना बीत गया.
फिर में एक दिन अपने एक फ्रेंड के यहाँ पर गया तो उसने मुझे एक नई बात बताई कि मेरे पड़ोस में जो लड़की रहती है वो पहले उनके मोह्हले में ही रहती थी और उसका उस समय से मोहल्ले के कई लड़को के साथ चक्कर चल रहा था और एक बार वो दो लड़को के साथ रंगे हाथों पकड़ी भी गयी थी और तभी उसके पापा ने वो मोहल्ला छोड़ दिया. दोस्तों में उसके मुहं से यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और अब मैंने सोच लिया कि मेरे लिए अब तो जल्द ही एक चूत का जुगाड़ हो जाएगा और में रात भर उसकी चुदाई के सपने देखता रहा और सो गया. फिर में अगले दिन उनके घर पर गया. उस टाईम उनकी मम्मी और वो घर पर थे.
दोस्तों उनकी मम्मी को में चाची जी कहकर बुलाता था और उस समय चाची जी आँगन में कुछ काम कर रही थी और दीदी किचन में थी. तो में जल्दी से किचन में चला गया और दीदी के बिल्कुल पीछे खड़ा हो गया, लेकिन दीदी को पता ही नहीं चला और जैसे ही वो पीछे घूमी तो उनके बूब्स एकदम से मुझसे टकरा गए और उन्होंने दीवार का सहारा लेकर अपने आपको गिरने से बचाया और मैंने मौका देखकर उनको कमर से पकड़कर सहारा दिया और सीधा खड़ा किया.
फिर वो मुझसे हंसते हुए बोली कि ऐसे क्यों चुपचाप आकर खड़े हो जाते हो? मैंने बोला कि दीदी में आपको सर्प्राइज़ देना चाहता था, मेरा लंड तो उनको छूते ही एकदम तनकर खड़ा हो गया था और जब मैंने उनको अपनी बाहों में लेकर खड़ा किया तो मैंने लंड को जानबूझ कर उनके शरीर से रगड़ दिया, लेकिन मुझे उनकी तरफ से कोई भी किसी भी तरह के विरोध के आसार नहीं दिखे और में समझ गया कि जो बात मेरे दोस्त ने मुझे बताई थी वो बिल्कुल ठीक ही थी.
फिर हमने बहुत देर तक हंसी मज़ाक वाली बातें की और में उनके बूब्स को बहुत घूर घूरकर निहार रहा था, क्योंकि वो उस समय काम कर रही थी इसलिए उन्होंने दुपट्टा भी नहीं लिया था. तो कुछ देर के बाद दीदी ने भी इस बात पर गौर किया कि मेरी निगाह उनके बूब्स पर है और उन्होंने जानबूझ कर अपना दुपट्टा नहीं लिया था और फिर में अक्सर जब भी उनसे बातें करता था तो किसी ना किसी बहाने उनके बदन को छूने की कोशिश किया करता था.
फिर एक सप्ताह के बाद मुझे बड़ा ही सुनहरा मौका मिला. जब वो उनके घर के स्टोर रूम में सफाई कर रही थी तो में भी वहां पर पहुंच गया. चाची जी उस समय बाथरूम में थी और उन्होंने मुझे मदद करने को कहा और फिर में तुरंत ही मान गया. हम दोनों ही सफाई करने लगे और हम दोनों उस बीच कई बार आपस में टकराए और हम दोनों पूरी तरह पसीने में भीग गए थे.
कुछ देर के बाद दीदी ने मुझसे कहा कि तुम अपना काम करते रहो. में अभी आई और दो मिनट में ही वो वापस आ गई, लेकिन मैंने तुरंत ही मैंने गौर कर लिया कि उन्होंने अपनी ब्रा को उतार दिया है हो सकता है कि वो शायद गर्मी से परेशान हो रही थी इसलिए उन्होंने ऐसा किया, लेकिन में तो यह सब देखकर बिल्कुल ही पागल हो गया और मैंने उनको देखकर एक स्माइल दे दी और उनका जवाब भी एक स्माइल से ही आया. तो में समझ गया कि मेरा रास्ता साफ है, लेकिन मेरे मन में एक अजीब सा डर भी था और फिर मैंने दीदी से पूछा कि..
में : क्यों आप कहाँ गई थी?
दीदी : मुझे बहुत गर्मी लग रही थी.
में : तो फिर?
दीदी : तो फिर क्या?
में : क्या अब गर्मी दूर हो गई?
दीदी : हाँ थोड़ा बहुत लगता तो है.
में : लेकिन, वो कैसे?
दीदी : पहले तुम जल्दी से अपना काम खत्म करो.
में : दीदी पहले में आपसे एक बात पूछना चाहता हूँ और एक कहना चाहता हूँ.
दीदी : हाँ पूछो और कहो, वो ऐसी क्या बात है?
में : आपकी छाती बहुत ही सुंदर है.
दीदी : तुम यह क्या बकवास कर रहे हो?
में : आपने अपनी ब्रा को उतार दिया है ना? तो जब से यह और भी सुंदर लग रहे है.
दीदी : तुम पागल हो गये हो क्या चुपचाप यहाँ से चले जाओ?
में : दीदी मुझे एक बार इनको देखना है.
दीदी : (बहुत ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली) क्या सुना नहीं तुमने, चले जाओ यहाँ से?
तो मैंने उनकी एक बात नहीं सुनी और उनको पकड़कर दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और बोला कि मुझे आपकी सारी पिछली कहानियाँ पता है, में आपके इतने दिनों से चक्कर लगा रहा हूँ, क्या में आपको छोटा बच्चा लगता हूँ? और ऐसा कहते हुए मैंने उनकी कमीज़ को ऊपर कर दिया और दोनों बूब्स को पकड़कर ज़ोर ज़ोर से दबाने, मसलने लगा, मेरे ऐसा करने से दीदी मदहोश होने लगी और सिसकियाँ लेने लगी.
दीदी : आदर्श ऊईईईईई अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह प्लीज ऐसा मत करो, प्लीज छोड़ दो मुझे.
में : नहीं दीदी, में इतने दिनों से इनको दूर से ही निहार रहा था. आज तो में इनका रस चूसकर ही रहूँगा.
फिर मैंने एक बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और किसी दूध पीते बच्चे की तरह बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूसने, दबाने लगा और कुछ देर चूसने के बाद अचानक से चाची की आवाज़ आई, शायद वो बाथरूम से बाहर आ गई थी. तो हम एकदम से अलग हो गये और फिर से सफाई करने लगे, चाची ने हमे देखा और अपने बेडरूम में चली गयी.
में : दीदी आपके बूब्स का रस तो बहुत ग़ज़ब का है.
दीदी : लेकिन अभी नहीं क्योंकि अब मम्मी बाथरूम से बाहर आ गई है, में तुम्हे बाद में जैसे ही मौका मिलेगा बुला लूँगी.
तो ऐसे ही दो तीन दिन निकल गये, लेकिन इस बीच मैंने सही मौका देखकर उनके बूब्स को कई बार दबाया और उन्हे किस भी किए और फिर एक दिन उनके घर कुछ मेहमान आए हुए थे और उस दिन में अपने घर पर बिल्कुल अकेला था. तभी दीदी मेरे घर पर आई और मुझसे बोली..
दीदी : आदर्श क्या में तुम्हारे बाथरूम को अपने काम में ले सकती हूँ क्योंकि मेरे घर पर कुछ मेहमान आए हुए है और मेरे घर का बाथरूम इस समय फ्री नहीं है?
में : हाँ क्यों नहीं, आप उसे जैसे चाहे काम में ले सकती हो.
दोस्तों वो अपने साथ एक पैकेट लेकर आई थी वो उसे भी अपने साथ ही लेकर बाथरूम में चली गई और कुछ देर के बाद में भी उनके पीछे पीछे बाथरूम में चला गया.
दीदी : यह क्या बदतमीजी है आदर्श?
में : दीदी आज में आपकी चूत मारना चाहता हूँ आपके बूब्स को एक बार फिर से चूसना चाहता हूँ और में आज अपना उस दिन का अधूरा काम पूरा करना चाहता हूँ.
दीदी : लेकिन आज तो तुम्हारा यह काम नहीं हो सकता क्योंकि मेरे पीरियड्स चल रहे है और में अपना पेड ही बदलने यहाँ पर आई थी.
लेकिन दोस्तों मैंने उनकी एक भी बात ना सुनी और उनकी सलवार का नाड़ा खींच दिया. सलवार नीचे जमीन पर गिर गई और मैंने उनकी कमीज़ को भी उतार दिया और फिर पेंटी को भी उतार दिया. तो मैंने देखा कि उनकी पेंटी में बहुत सारा खून लगा हुआ था. मैंने देर ना करते हुए अपना लंड बाहर निकाला और दीदी से चूसने को कहा वो मेरा मोटा लंड देखकर एकदम से चौंक गयी और बोली कि मैंने इतना मोटा लंड तो कभी लिया ही नहीं?
में : दीदी कोई बात नहीं, आज लेकर देख लो, वैसे भी यह लंड अब आपकी चूत फाड़कर ही रहेगा.
फिर मैंने तुरंत ही लंड को उनके मुहं में डाल दिया और वो लंड को एक रंडी की तरह चूसने लगी, लेकिन मैंने आज उनके बूब्स को ब्रा से बाहर नहीं निकाला था क्योंकि अगर वो बाहर आ जाते तो में सबसे पहले अपना सारा टाईम उनको ही चूसता रहता, लेकिन में आज उनकी चूत मारने वाला था. दस मिनट तक उन्होंने मेरा लंड चूसा और फिर मैंने उन्हे खड़ा किया और किस करने लगा.
किस करते हुए ही में अपने लंड को उनकी चूत में डालने लगा और फिर मैंने दो ज़ोर के झटके दिए और अब पूरा लंड चूत में डाल दिया. दीदी के मुहं से आअहह उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज थोड़ा जल्दी अह्ह्ह्हह्ह निकल गया और फिर चीखते हुए वो बोली कि आदर्श प्लीज थोड़ा जल्दी जल्दी अह्ह्ह्ह चोदो मुझे देखने लड़के आईईईईइ वाले आने वाले है.
में : तो तुम एक काम करो, उन्हें यहाँ पर ही बुला लो, में उन्हे दिखता हूँ कि लड़की चुदाई में कितनी माहिर है.
दीदी : हंसते हुए बोली कि एक तो बहुत मुश्किल से यह बकरा मिला है, क्या तुम उसे भी भागना चाहते हो?
में : दीदी मुझे आप बहुत ही अच्छी लगती हो और दीदी में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ.
दीदी : मुझे दीदी मत बोलो आदर्श, अब आज से में तुम्हारी रखैल हूँ, तुम मुझे अपनी एक रंडी समझकर चोदो में आज से तुम्हारी ही हूँ, तुम मुझे जितना चाहो चोद सकते हो में तुम्हे कभी भी मना नहीं करूंगी.
फिर में उनकी बातों से और भी जोश में आकर ताबड़तोड़ धक्के देता रहा और वो भी अपनी सिसकियों की आवाज से मुझे जोश दिलाती रही, वो मुझसे और ज़ोर से धक्के देने को कहती रही और में जोरदार धक्कों से उनकी चूत को शांत करने की कोशिश करने लगा और हम ऐसे ही बीस मिनट तक लगातार चुदाई करते रहे और में उनकी चूत में ही झड़ गया. मैंने अपना सारा वीर्य उनकी चूत में डाल दिया और कुछ देर बाद मैंने उनको छोड़ दिया तो दीदी ने जल्दी से अपना पेड चेंज किया और कपड़े पहनकर अपने घर पर जाने लगी. तभी मैंने उन्हे एक बार फिर से पकड़ लिया और बोला कि दीदी एक चीज़ तो में भूल ही गया.
दीदी : वो क्या?
तो मैंने उनको अपनी बाहों में खींच लिया और उनके बूब्स को दबाने लगा और मैंने उनकी कमीज़ को ऊपर करके उनकी ब्रा को खोल दिया और बारी बारी से एक एक बूब्स को मुहं में लेकर चूसने लगा तो कुछ देर बाद वो बोली..
दीदी : अब बस करो मेरे राजा, मुझे अब अपने घर भी जाना है.
में : लेकिन दीदी पहले आप मुझसे वादा करो और शाम को फिर से जरुर आना.
दीदी : हाँ ठीक है में तुमसे वादा करती हूँ कि शाम को मुझे जैसे ही मौका मिलेगा जरुर आउंगी.
तो दोस्तों उसी शाम दीदी अपना किया हुआ वादा पूरा करने मेरे पास चली आई, लेकिन उस समय हमें ज्यादा समय नहीं मिला तो हमने ज्यादा कुछ नहीं किया, लेकिन उसके बाद से हमने ऐसे ही चुदाई का खेल जारी रखा. मैंने कभी उनको उनके घर पर तो कभी मेरे घर पर, जैसे ही मौका मिलता हम चुदाई के मज़े लेते रहे और फिर तीन महीने के बाद उनकी शादी उसी लड़के से हो गयी और मैंने शादी के दो दिन पहले तक भी उनकी बहुत अच्छी तरह से चुदाई की और अब भी जब कभी वो ससुराल से अपने घर पर आती है तो मेरे लिये चूत का जुगाड़ हो जाता है.